Friday, November 22"खबर जो असर करे"

प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि से आम भारतीयों को मिलता लाभ

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व आज विश्व में स्वीकार किया जा रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं कि लगातार एक के बाद एक वर्ष बीत जाने के बाद भी भारत के प्रधानमंत्री की विजय पताका वैश्विक स्तर पर लहरा रही है और पूरे विश्व के तमाम नेता अपने गिले-शिकवे और उत्साह के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। निश्चित ही भारत के प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह गौरव की बात है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज पूरा विश्व उन्हें एक वैश्विक नेता के रूप में स्वीकार्य कर रहा है।

इसके साथ ही आज की परिस्थितियों के बीच कहना होगा कि विश्व के अनेक देश भारत की ओर आशा की दृष्टि से देख रहे हैं। कोरोना महामारी से बिगड़ी तमाम देशों की अर्थव्यवस्था और मंदी के करण उपजी नागरिक समस्याओं के बीच रूस- यूक्रेन युद्ध, आतंकवाद, क्षेत्रवाद जैसी अनेक समस्याएं विश्व भर में व्याप्त हैं। परमाणु विध्वंस की चपेट में पृथ्वी का कौन सा भू-भाग कब आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, ऐसे में नरेन्द्र मोदी ही विश्व में उस नेता के रूप में उभरे हैं जो कटुता के बीच भी समन्वय स्थापित करने में सक्षम हैं।

”मॉर्निंग कंसल्ट” की अप्रूवल और डिसअप्रूवल रेटिंग के ताजा सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी को 78 फीसदी की अप्रूवल रेटिंग मिली है। सर्वे के आंकड़े बता रहे हैं कि नरेन्द्र मोदी ने लोकप्रियता में 22 देशों के दिग्गज नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। ताजा सर्वे जोकि अंतरराष्ट्रीय शोध एवं सर्वे संस्था ”मॉर्निंग कंसल्ट” ने इस नए साल में किया है उसने बता दिया है कि विश्व भर में नरेन्द्र मोदी का कद कितना ऊंचा है।

इस सूची में दूसरे नंबर पर अप्रूवल रेटिंग 68 प्रतिशत के साथ मेक्सिको के राष्ट्रपति लोपेज ओब्रेडोर हैं। तीसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया के पीएम अल्बानीज हैं, जिनकी रेटिंग 58% है। चौथे नंबर पर इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी 52 प्रतिशत रेटिंग के साथ हैं । ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा 50 प्रतिशत की अप्रूवल रेटिंग के साथ 5वें स्थान पर और दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन छठे नंबर आए हैं, उनकी रेटिंग 40 % है। फिर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का नाम है। भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक इस सूची में 30 प्रतिशत की रेटिंग लेकर 10वें स्थान पर और वर्ल्ड लीडर्स के बीच फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 29 % स्वीकार्यता के साथ 11वें स्थान पर हैं।

अभी इस घटना को बीते बहुत समय नहीं बीता है, यह दृश्य है जर्मनी का, जहां भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जर्मनी में जी-7 की बैठक में अतिथि के तौर पर आमंत्रित थे। हम सभी जानते हैं कि जी-7 दुनिया के सात बड़े औद्योगीकृत देशों का समूह है। इस समिट में मोदी, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से बात कर रहे थे तभी पीछे से अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन आए और उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री के कंधे पर हाथ रख दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने पीछे मुड़कर देखा तो बाइडन दिखे और फिर दोनों नेता गर्मजोशी से मिले। जब यह वीडियो मीडिया में आया और वहां तमाम खड़े वैश्विक नेताओं के बीच मोदी के प्रभावी व्यक्तित्व को दुनिया ने देखा कि कैसे राष्ट्रपति बाइडन स्वयं चलकर पीएम मोदी से हाथ मिलाने आए। इस दृश्य को देखकर साफ पता चलता है कि आज के दौर में भारत और भारत के प्रधानमंत्री किस तरह से विश्व के देशों के बीच केंद्र में हैं।

इसी तरह की एक दूसरी घटना अभी कुछ दिन पहले की ही है। ब्रिटिश सांसद लॉर्ड करण बिलिमोरिया ने अपने संसदीय उद्बोधन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पृथ्वी ग्रह पर सबसे शक्तिशाली बताया । बिलिमोरिया यह कहते नजर आए कि भारत के पास अगले 25 वर्षों में 32 बिलियन अमरीकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का दृष्टिकोण है। ‘इंडियन एक्सप्रेस (ट्रेन) ‘ ने स्टेशन छोड़ दिया है। यह अब दुनिया की सबसे तेज ट्रेन है और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था । भारत अब यूके से आगे निकल गया है। पिछले वित्तीय वर्ष में इसकी विकास दर 8.7 फीसद थी। इसने कुल 100 यूनिकॉर्न कंपनियों पर 10 में से एक यूनिकॉर्न कंपनी में योगदान दिया है। यह नवीकरणीय ऊर्जा और सौर ऊर्जा का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक भी है।

हालांकि लॉर्ड बिलिमोरिया ने अपने देश के हितों को ध्यान में रखकर यह सभी बातें कहीं थी, खासकर यह कि आने वाले दशकों में ब्रिटेन को भारत का सबसे करीबी और सबसे भरोसेमंद दोस्त और साझेदार होना चाहिए। इस समय हमारा व्यापार £29.6 बिलियन का है, भारत यूके का केवल 12वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। यह पर्याप्त नहीं है; यह इससे अधिक होना चाहिए। कुल मिलाकर उनकी संपूर्ण चर्चा का निष्कर्ष यह था कि ताकतवर हो रहे भारत के पीछे जो सबसे बड़ी शक्ति है, वह उसके वर्तमान मोदी नेतृत्व का होना है।

यह मोदी राज में भारत का उभार ही है कि भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। यूएन सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग का भारत के पक्ष में रूस और अमेरिका आज समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं। भारत के पास जी-20, एससीओ की अध्यक्षता है। भारत यूएन सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य है। पश्चिम की आपत्ति के बावजूद भारत रूस से तेल खरीदने पर अड़ा रहा और अपने हित में वह इस कार्य को करने में पूरी तरह से सफल रहा है। इससे भी आगे भारत ने रूस से एस-400 लिया, किंतु अमेरिका ने सीएएटीएसए के अंतर्गत प्रतिबंध नहीं लगाया। आज पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है तथा हर वैश्विक चुनौती पर अपनी अंतिम रणनीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से तय हो रही है।

कह सकते हैं कि वैश्विक कूटनीति के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार गतिशील बनाए रखने एवं हर समस्या के समाधान की दिशा तय करने की उनकी कला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को फिर से दुनिया का नंबर एक नेता चुना है, यह वास्तव में प्रत्येक भारतवासी के लिए आज गर्व करने का विषय अवश्य है।

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)