ग्वालियर। जाबांज बेटे की पठानकोट के बेस कैंप में हार्ट अटैक से मौत हो गई है। जवान एक महीने की छुट्टी पर घर आया था और दो दिन पहले ही वापस पठानकोट पहुंचा था। ड्यूटी ज्वॉइंन करते ही उसे हार्ट अटैक आया और उसने हॉस्पिटल ले जाने से पहले ही दम तोड़ दिया। भारतीय सेना के जवान अंसार बेग मिर्जा का सपना था कि उसका कभी मौत से सामना हो तो जंग के मैदान में हो। वह ग्वालियर के मुरार बंशीपुरा का रहने वाला है।
सेना में नौकरी करने का जज्बा उसे विरासत में मिला है। तीन भाइयों में वह बीच का है, लेकिन तीनों भाई सेना में है। बड़ा भाई हाल ही में रिटायर्ड हुआ है। 32 वर्षीय अंसार बेग मिर्जा के पार्थिव देह को सेना के सम्मान के साथ रविवार को सागरताल स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द के खाक किया गया है। इस मौके पर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने पहुंचकर जवान को श्रद्धांजलि दी है।
ऊर्जा मंत्री तोमर ने दी जवान को श्रद्धांजलि
ग्वालियर के उपनगर मुरार बंशीपुरा निवासी 32 वर्षीय अंसार बेग मिर्जा पुत्र अनबर बेग मिर्जा भारतीय सेना में बतौर जवान पदस्थ थे। अभी उनकी पदस्थापना आर्मी के पठानकोट बेस कैंप में थी। अंसार बेग के बारे में बता दें कि वह एक किसान के पुत्र हैं, लेकिन बड़े भाई शमसाद बेग को देखकर वह फौज में भर्ती हुए। 32 साल की कम उम्र में वह 13 साल की नौकरी कर चुके थे। अंसार का छोटा भाई दिलशाद भी फौज में है। अंसार के बारे में पता लगा है कि वह एक महीने की छुट्टी पर ग्वालियर आया था। 20 जनवरी को उसे वापस ड्यूटी ज्वॉइंन करनी थी। इसलिए वह 16 जनवरी को अपने बेस कैंप के लिए वापस लौट गया था। उसे वहां कुछ काम था और 20 जनवरी को ड्यूटी ज्वाइंन करनी थी। 20 को उसने ड्यूटी ज्वाइंन की। इसके बाद परिवार से बात की और कुछ देर बाद उसके बेस कैंप से फोन आया कि अंसार का दिल की धडक़न रुकने से मौत हो गई है। परिवार पहले तो समझ ही नहीं आया कि उनका बेटा नहीं रहा है। रविवार को जवान की पार्थिव देह ग्वालियर लाई गई। यहां सेना ने पूरे सम्मान के साथ उसके शव को रखा और परिजन के सुपुर्द किया। यहां से उसे सागरताल कब्रिस्तान ले जाया गया और वहां सैनिक सम्मान के साथ सुपुर्द ए खाक किया गया। इस दौरान प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जवान के घर पहुंचकर उसके पार्थिव देह को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
अपने पीछे जवान छोड़ गया पूरा परिवार
जवान अंसार बेग मिर्जा के परिवार उसकी पत्नी शमसुन, बेटा आहिल (7), बेटी आशिया (6) हैं। अभी एक महीने तक वह अपने परिवार के साथ था। उसने 26 दिन पूरे परिवार के साथ गुजारे और हर वो पल जिया जो हमेशा वह सोचता था। परिवार को वह बॉर्डर की गतिविधियां भी बताता था। जब घर पर था तो कहता था कि उसकी इच्छा है कि जब भी उसका मौत से सामना हो तो जंग के मैदान में हो।