– कमलेश पांडेय
क्या आपको पता है कि 21 सदी के दूसरे दशक में वैश्विक महामारी कोरोना और उसके बाद रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन चुके विपरीत हालात से निपटने में भारत कई देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है? यदि नहीं तो यह जान लीजिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत यह करिश्मा कर रहा है, जिसका सारा श्रेय उनके नेतृत्व में पिछले साढ़े आठ वर्षों से देश में जारी रिफॉर्म (सुधार), ट्रांसफॉर्म (परिवर्तन) और परफॉर्म (प्रदर्शन) की गहन प्रक्रिया को जाता है। अब तो वैश्विक प्रबंधन परामर्शदाता फर्म मैकिंसे तक यह मानने लगा है कि न केवल वर्तमान दशक बल्कि यह पूरी सदी भारत की होगी। यह जानकर दुनिया भर की संस्थाओं का भारत में भरोसा बढ़ा है। समझा जाता है कि सशक्त लोकतंत्र, राजनीतिक स्थिरता और सतत सुधारों के चलते भारत, पूरी दुनिया के निवेशकों के लिए निवेश की एक आकर्षक मंजिल बन चुका है, जो आज सबको लुभा रहा है। भारत सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) भी निवेशकों के हौसले में आफजाई कर रही है।
कहना न होगा कि हमारी इस नई अद्वितीय वैश्विक स्थिति से चीन, अमेरिका और पाकिस्तान जैसे कुछ गिने-चुने देश भले ही मन ही मन ईर्ष्या करें, लेकिन भारत की स्पष्ट सोच, पक्का इरादा और उत्साही युवाओं की बदौलत निवेशक अब उसके यानी भारत के प्रति आशावादी हैं। इसकी बदौलत रक्षा से अंतरिक्ष क्षेत्र तक भारत मजबूत हुआ है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता से विदेशी निवेशक भी बढ़ रहे हैं। कोरोना महामारी के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में तेजी ने सबको रिझाया है। वर्ष 2030 तक देश की करीब 42 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहेगी। इन सबसे एफडीआई आकर्षित हो रही है।
जानकारों का कहना है कि कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में 24.60 प्रतिशत, वित्तीय सेवा और आर ऐंड डी में 12.13 प्रतिशत, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में 11.89 प्रतिशत, ट्रेडिंग में 7.72 प्रतिशत, और निर्माण क्षेत्र में 5.52 प्रतिशत एफडीआई ज्यादा आई है, अन्य क्षेत्रों के वनिस्पत। वहीं, महाराष्ट्र में 26.26 प्रतिशत, कर्नाटक में 17.55 प्रतिशत, दिल्ली में 13.93 प्रतिशत, तमिलनाडु में 5.10 प्रतिशत और हरियाणा में 4.76 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई ज्यादा हो रहे हैं, अन्य राज्यों के वनिस्पत। सीआईआई की रिपोर्ट बताती है कि भारत अगले 5 साल में 47,500 करोड़ डॉलर की रकम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तहत पाने की क्षमता रखता है। बता दें कि जहां वर्ष 2014-15 में एफडीआई के तहत 4515 करोड़ डॉलर का निवेश हुआ था, वहीं वर्ष 2021-22 में यह बढ़कर 8484 करोड़ डॉलर हो गया है।
यही वजह है कि एक ओर जहां भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद के चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी अब देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था के उजले बिंदु की तरह देखता है। वहीं, दूसरी ओर विश्व बैंक का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विपरीत हालात से निपटने के मामले में भारत कई देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। ऐसा इसलिए सम्भव हो सका, क्योंकि सदी के भीषण संकट यानी कोरोना त्रासदी के दौरान भी प्रधानमंत्री मोदी ने सुधारों की राह नहीं छोड़ी, जिसके चलते आत्मनिर्भर भारत ने देश में सुधारों को गति देना जारी रखे हुए है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नीतिगत रूप से नई सम्भावनाओं को जन्म देते हुए हाल ही में 8 लाख करोड़ के संभावित निवेश वाले मिशन हरित हाइड्रोजन को मंजूरी दे दी है, जो ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति का वाहक बनेगी। इसके अलावा, जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल में सड़कों, हवाई अड्डों और बंदरगाहों के विस्तार के साथ औद्योगिक गलियारों और लॉजिस्टिक्स केंद्रों के विकास की योजनाओं को गति दी है, उससे वैश्विक हल्के में अब यहां तक कहा जाने लगा है कि इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, एक्सप्रेस-वे, लॉजिस्टिक पार्क, ये सभी नए भारत की अमिट पहचान बन रहे हैं।
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि आज भारत विश्व का तीसरा बड़ा विमानन और ऑटो बाजार है। वहीं, महज 8 साल में ही भारतीय अर्थव्यवस्था 13वें स्थान से छलांग लगाकर 5 वें स्थान पर पहुंच चुकी है, और वह दिन दूर नहीं जब भारत, जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए। बताया जाता है कि हमारे ये तमाम निर्णय आधुनिक बुनियादी ढांचा निवेश की नई सम्भावनाओं को जन्म दे रहे हैं। आलम यह है कि भारत में स्वास्थ्य, कृषि, पोषण, कौशल विकास, नवाचार और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में उभर रही सम्भावनाएं निवेशकों का इंतजार कर रही हैं। जानकार बताते हैं कि यह भारत के साथ मिलकर नई वैश्विक आपूर्ति शृंखला के निर्माण का समय है। जिस तरह से देश में 5 जी, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और एआई की मदद से हर उद्योग और उपभोक्ता के लिए नए मौके पैदा हो रहे हैं, इससे निःसंदेह विकास की गति तेज होगी।
आप यह जानकार चौंक जाएंगे कि देश की डिजिटल दुनिया में हर ओर तेजी का आलम दिख रहा है। ऑनलाइन खरीदारी के मामले में भारत, चीन को पछाड़ चुका है और अब अगली बारी अमेरिका की है। उसे पछाड़ने के बाद भारत दुनिया में पहला स्थान प्राप्त कर लेगा। समझा जा रहा है कि इंटरनेट और मोबाइल की उपलब्धता और आसान होने के साथ वर्ष 2025 तक 90 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे, जिससे ऑनलाइन खरीदारी की दुनिया का विस्तार होगा। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) के मुताबिक, वर्ष 2021 में देश में ऑनलाइन ग्रॉसरी बाजार 395 करोड़ डॉलर का था, जो वर्ष 2027 तक 2693 करोड़ डॉलर का हो सकता है। वहीं, देश की कंज्यूमर डिजिटल अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 में कुल 53,750 डॉलर की थी, लेकिन अनुमान है कि वर्ष 2030 तक ये बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर के पार हो जाएगी।
देखा जाए तो भारत में जब अमृतकाल का स्वर्णयुग शुरू हुआ है, तब हम सभी देशवासी परस्पर मिलजुल कर विकसित भारत बनाने की दिशा में निरंतर प्रयास कर रहे हैं। इसके चलते हमें अपने काम में अभूतपूर्व सफलता भी मिल रही है। वाकई यह सिर्फ हमारी उम्मीद नहीं बल्कि यह हर भारतीय का संकल्प है। हमारे संकल्प की सफलता को देखकर शेष दुनिया भी भारत की दीवानी हो चली है। वसुधैव कुटुंकम जैसी उदात्त सोच रखने वाला भारत और भारतवासी ढेर-सबेर दुनिया को सही और मानवतावादी राह दिखाएंगे, यह दृढ़ विश्वास दुनिया के सभी जरूरतमंद देशों व उसके देशवासियों में जगा है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)