Friday, September 20"खबर जो असर करे"

संगीतधानी ग्वालियर में विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह का भव्य शुभारंभ

– राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से विभूषित हुए बाँसुरी वादक पं. नित्यानंद हल्दीपुर
– सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट संस्था को मिला “राजा मानसिंह तोमर सम्मान”

ग्वालियर। भारतीय शास्त्रीय संगीत (Indian classical music) के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव विश्व संगीत समागम (Country’s Most Prestigious Festival World Sangeet Samagam) “तानसेन समारोह” (“Tansen Ceremony”) का संगीतधानी ग्वालियर में सोमवार शाम को भव्य शुभारंभ हुआ। यहां हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि (Tomb of Sur Samrat Tansen) के समीप चैन्नकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर सांध्यबेला में आयोजित हुए भव्य एवं गरिमामय समारोह में देश के सुप्रतिष्ठित बाँसुरी वादक पं. नित्यानंद हल्दीपुर मुम्बई को वर्ष 2021 के “राष्ट्रीय तानसेन सम्मान” से विभूषित किया गया। साथ ही मुम्बई की संस्था सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट को वर्ष 2021 के “राजा मानसिंह तोमर सम्मान” से अलंकृत किया गया। यह सम्मान कला एवं संस्कृति के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही संस्था को दिया जाता है।

समारोह में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, संभाग आयुक्त दीपक सिंह, पं किरण देश पांडेय, अभय चौधरी, संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी सहित अन्य अतिथियों ने पं. नित्यानंद हल्दीपुर को राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण के रूप में आयकर मुक्त दो लाख रूपए की सम्मान राशि, प्रशस्ति पट्टिका व शॉल-श्रीफल भेंट किए। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संगीत सम्राट तानसेन के नाम से स्थापित यह सम्मान भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय संगीत सम्मान है।

वहीं, राष्ट्रीय राजा मानसिंह तोमर सम्मान के रूप में सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट संस्था को एक लाख रुपये की आयकर मुक्त राशि और प्रशस्ति पट्टिका भेंटकर सम्मानित किया गया। संस्था की ओर से उमा डोंगरा ने यह सम्मान ग्रहण किया। राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से विभूषित पंडित नित्यानंद हल्दीपुर ने तानसेन सम्मान प्रदान करने के लिये राज्य सरकार के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया।

सरकार कला व संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिये प्रतिबद्धः उषा ठाकुर
संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने इस अवसर पर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तानसेन अलंकरण सहित अन्य कला सम्मानों की राशि बढाने की घोषणा की है। उसकी प्रक्रिया पूरी हो गई है। अगले साल से बढ़ी हुई राशि के साथ अलंकरण प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तानसेन समारोह का शताब्दी आयोजन पूरी भव्यता व विराटतम रूप में आयोजित किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि हमारा देश कालजयी संस्कृति का संवाहक है। सनातन परंपराएँ हमारी पहचान हैं। इसी का पालन करते हुए प्रदेश में कला व संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने आह्वान कि संस्कृति विभाग ने सामूहिक प्रार्थना की पहल की है, जिसमें सभी सहभागी बनें। उषा ठाकुर ने कहा कि हजारों लोगों की कुर्बानी से देश को आजादी मिली है, इसलिए उन्हें कभी न भूलें। अपने घर की बैठक में क्रांतिकारियों के चित्रों को भी सम्मानपूर्वक स्थान दें। संस्कृति मंत्री ने इस अवसर पर जानकारी दी कि सरकार द्वारा 26 दिसम्बर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई है।

आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर इस साल के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह का विधिवत शुभारंभ किया। राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण व राजा मानसिंह तोमर सम्मान प्रदान करने से पहले संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने स्वागत उदबोधन दिया और सम्मानित विभूतियों के सम्मान में प्रशस्ति वाचन किया।

इस अवसर पर महापौर डॉ. शोभा सतीश सिकरवार, राजा मानसिंह संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर, अतरिक्त पुलिस महानिदेशक डी श्रीनिवास वर्मा, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, पुलिस अधीक्षक अमित सांघी, नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल, अपर कलेक्टर एचबी शर्मा, उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक जयंत माधव भिसे व उप निदेशक राहुल रस्तोगी भी मौजूद थे।

राग सुमनमाला का हुआ विमोचन
तानसेन समारोह के शुभारंभ अवसर पर अतिथियों द्वारा पण्डित बालाभाऊ उमडे़कर “कुण्डल गुरू” कृत राग सुमनमाला भाग प्रथम व द्वितीय का विमोचन भी किया गया।

पारंपरिक रूप से ध्रुपद गायन के साथ हुआ पहली संगीत सभा का आगाज
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव विश्व संगीत समागम “तानसेन समारोह” का संगीतधानी ग्वालियर में सोमवार शाम को भव्य शुभारंभ हुआ। यहां हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि के समीप चैन्नकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर सांध्यबेला में संगीत सभा का शुभारंभ शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों द्वारा तानसेन की प्रशस्ति एवं ध्रुपद गायन से हुआ।

रागमाला में पिरोई गई प्रशस्ति के बोल थे ”ध्रुव कंठ स्वरोदगार” जबकि राग विहाग में तानसेन रचित ध्रुपद के बोल थे- “महादेव देवन पति।” इस बंदिका को शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बड़े ही सधे अंदाज में पेश किया। इस प्रस्तुति में पखावज पर संजय आफले एवं वायलिन पर अंकुर धारकर ने संगत की। निर्देशन डॉ वीणा जोशी का था।

उस्ताद वासिफुद्दीन डागर ने डागरवाणी गायिकी से महकाया ध्रुपद का आंगन
शास्त्रीय संगीत के सुविख्यात गायक उस्ताद वासिफुद्दीन डागर ने जब अपनी बुलंद आवाज में राग “पूरिया” और चौताल में निबद्ध बंदिश ” पार्वती नाथ शिव शंभू महादेव महाबली जागे..” का गायन किया तो ध्रुपद का आंगन डागरवाणी गायकी से महक उठा। इस साल के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह की पहली संगीत सभा में पहले कलाकर के रूप में दक्षिण भारत के विश्व प्रसिद्ध चेन्नकेशव मंदिर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर उस्ताद वासिफुद्दीन डागर अवतरित हुए।

डागरवाणी ध्रुपद गायिकी नोमतोल के बजाय ओम अनंत तम तरण..पर आधारित है। वासिफुद्दीन डागर जी ने अपने गायन में इसे जीवंत करके दिखाया। आलाप, मध्य लय आलाप और द्रुत अलाप में उनकी सुंदर आलापचारी सुनते ही बन रही थी। उस्ताद वासिफुद्दीन डागर ने अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए राग ” देस” में तानसेन रचित बंदिश ” जय जय शारदा भवानी..” पेश कर घरानेदार गायिकी को जीवंत कर दिया।

उस्ताद वासिफुद्दीन डागर के गायन में देश के ख्यातिनाम पखावज वादक पं मोहन श्याम शर्मा और तानपूरे पर जॉन होविट व अरविंद श्रीनिवासन ने दिलकश संगत की।

पं. नित्यानंद के मुलायमियत भरे बाँसुरी वादन आत्मा हुई झंकृत
समारोह में तानसेन सम्मान से विभूषित पंडित नियानंद हल्दीपुर केबांसुरी वादन से बाँसुरी के सौम्य स्वर गूँजे तो रसिक श्रोताओं का मन पुलकित हो गया। उनके बाँसुरी वादन से रसिकों के मानस पटल पर कभी बागों में बिछे फूलों के गलीचों के दृश्य उभरे तो कभी फूलों से लदी लचकती साखों की थिरकन का अहसान हुआ। उन्होंने राग “हेमंत” से मुलायमियत भरी सौम्य शुरूआत के बाद फूंक और अंगुलियों के संतुलित समन्वय से निकलती तानें रसिक श्रोताओं की आत्माओं के तारों को झंकृत करने लगीं।

आलाप से शुरू कर उन्होंने इस राग में दो गतें पेश की। दोनों गतें क्रमशः विलंबित एक ताल एवं द्रुत तीनताल में निबद्ध थीं। उनके वादन में प्रार्थना और सुकून के तत्व साफ झलक रहे थे। उन्होंने बांसुरी वादन का समापन राग बागेश्री में मध्यलय की गत से किया। इस गत के वादन से भी उन्होंने खूब रंग बिखेरे। बांसुरी वादन में तबले पर हितेंद्र दीक्षित ने नफासत भरी संगत का प्रदर्शन किया।

“तानसेन समारोह” में 20 दिसम्बर की प्रस्तुतियाँ
प्रात:कालीन सभा का शुभारंभ ध्रुपद केन्द्र भोपाल और शंकर गंधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। सभा में विश्व संगीत के तहत चिली देश के टॉमस कैरास्को गुबनैंटिस, मोआ निकोलस एडमंड्स ग्वेरा एवं अल्फ्रेडो तोस्टो की प्रस्तुति होगी। इसके बाद दीपिका भिड़े भागवत मुम्बई का गायन, डालचंद शर्मा दिल्ली का पखावज वादन, फड़के देशपाण्डे पुणे का गायन और ब्रजभूषण गोस्वामी दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति देंगे।

सायंकालीन सभा का आरंभ भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में पं. व्यंकटेश कुमार धारवाड़ का गायन, पं. विश्व मोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट जयपुर का मोहनवीणा वादन, धानी गुंदेचा भोपाल का ध्रुपद गायन, विश्व संगीत के तहत इजराइल के अवि अदिर एवं एलेक्स ओस्टापेंको की प्रस्तुति एवं सुषमा वाजपेयी कानपुर का गायन होगा। (एजेंसी, हि.स.)