Sunday, November 10"खबर जो असर करे"

चंबल में बढ़ने लगा प्रवासी पक्षियों का कलरव

औरैया। आगरा से लेकर पचनद तक फैली चम्बल सेन्चुरी इलाके में सर्दी के सीजन में प्रवासी पक्षियों अपना डेरा जमा लेते हैं। यह चम्बल की सुन्दता को चार-चांद लगा देते हैं। इस वर्ष देर से सर्दी शुरू होने के कारण कुछ प्रजातियाें के पक्षी अभी नहीं आ सकी, लेकिन जो पक्षी आ गए हैं उन्होंने प्रजनन के लिए घोसलें भी बना लिए हैं।

प्रवासी पक्षियों को देखने लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटक जनवरी से आना शुरू हो जाते हैं। सबसे ज्यादा इनकी संख्या यमुना व चम्बल के संगम पर देखने को मिलती है।

चंबल फाउंडेशन के अध्यक्ष शाह आलम ने बताया कि चंबल सेंचुरी में प्रवासी पक्षी करीब तीन माह तक यहां डेरा जमाए रहते हैं और यहां पर अपने बच्चों को जन्म देने के बाद वह उनके साथ अपने देश वापस लौट जाते हैं। यहां खास बात यह है कि यहां कई प्रकार के पक्षियों का सर्दी में डेरा बना रहता है और यह चंबल के आसपास कलरव करते हुए दिखाई देते हैं।

बीहड़ी क्षेत्र के लोगों का कहना है कि इन पक्षियों की जब आवक शुरू हो जाती है तो यहां पर पर्यटक भी भारी संख्या में इन पक्षियों की तस्वीर आदि को लेने के लिए आते हैं। फिलहाल मौसम इन पक्षियों के आने का शुरू हो गया है। कुछ विदेशी मेहमान यहां पर आ चुके हैं और कुछ आने की शीघ्र संभावना जताई जा रही है।

जनवरी से बढ़ेगा इनका कुनबा

चंबल क्षेत्र इटावा रेंजर हरि किशोर शुक्ला ने बताया कि जनवरी में प्रवासी पक्षियों की संख्या में और इजाफा होगा। ठंडे देशों से भारत के विभिन्न हिस्सों पक्षी चम्बल और यमुना में जल विहार करते है। मध्य एशिया के ठंडे देशों में जब हिमपात होने लगता है, तब यह पक्षी हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय करके यह पहुंचते है। सर्दी खत्म होने के बाद परदेशी मेहमान अपने वतन को वापस लौट जाते हैं। इनमें प्रमुख प्रवासी पक्षी पेलिकाल, बरहेडिल, स्पूनबिल, पिगटल, कामेटिंक, शोबिल्क, कोभ, क्रेन, डेमेसिल क्रेन, तर्नरफ सेंट पाईप, मोमेंजर, पापलर, गोजनिर, कोमन पिचई, लेटर एच टुडेन्ट आदि हैं।

शिकार पर प्रतिबंध आवश्यक

पर्यावरणविद हरेन्द्र राठौर का कहना है कि विदेशी पक्षियों का शिकार करने के लिए कई शिकारी यहां पर आते हैं और इन पक्षियों का शिकार करते हैं। जिससे अब कुछ विदेशी मेहमान यहां पर आना छोड़ गए हैं। लोगों का कहना है कि इन शिकारियों से पक्षियों का बचाव किया जाए तो दोबारा से मेहमान पक्षी यहां पर आना प्रारंभ हो जाएंगे। (हि.स.)