उल्लेखनीय है कि पहाडगढ़ के जंगल में पिछले चार दिन से वायुसेना के जवान मिराज के समूचे भाग को एकत्रित नही कर पाये थे क्यों कि खोज में उन्हें काफी पाट्र्स जंगल में दूर दूर तक फैले मिले हैं। मंगलवार को जब वायुसेना के जांच के सदस्य खोजबीन कर रहे थे तब दल को जंगल की एक गहरी खाई में बड़ा हिस्सा दिखाई दिया। इसे सुखोई-30 का एक इंजन बताया जा रहा है। जिसे विगत दिवस निकालने की कोशिश सफल नहीं हो पाई। आज सुबह ग्वालियर एयरवेस से एक बड़ा दल पहाडगढ़ पहुंचा। तकनीकी व मशीनों के सहारे इस इंजन को निकाला गया। देर शाम तक इस इंजन को निकाला गया।
विदित हो कि 28 जनवरी की सुबह ग्वालियर एयरवेस से मिराज 2000 तथा सुखोई-30 नियमित अभ्यास उड़ान पर थे। अज्ञात तकनीकी खामियों के कारण पहाडगढ़ के ऊपर यह दोनों विमान आपस में टकरा गये। जिससे सुखोई में आग लग गई और इसका एक बड़ा हिस्सा पहाडगढ़ के जंगलों में गिर गया वहीं विमान का अधिकांश भाग राजस्थान भरतपुर के जंगल में जा गिरा। जबकि मिराज का सम्पूर्ण हिस्सा पहाडगढ़ के जंगल में ही गिरा। विगत दिवस मिराज के मलवे से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर एक गहरी खाई में विमान का बडा हिस्सा दिखाई दिया। वायुसेना जांच दल ने इसे देखा तो मंगलवार को इसे निकालने की मशक्कत की गई। यह सुखोई-30 का एक इंजन बताया जा रहा है। सुखोई-30 में दो इंजन व दो पायलेट रहते हैं। दुर्घटना के बाद इसके दोनों पायलेट कॉकपिट से इजेक्ट होकर पैराशूट से जमीन पर आ गये थे। पहाडगढ़ व भरतपुर से ट्रकों व हेलीकॉप्टर से वायुसेना स्टेशन पर एकत्र किए गए विमानों के ब्लैक बॉक्स व कॉकपिट के पाट्र्स की बेंगलुरू स्थित फोरेंसिक लैब में जांच कराई जाएगी। एजेंसी/हिस