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महाशिवरात्रिः भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, सतत 44 घंटे चलेगा दर्शन का सिलसिला

महाशिवरात्रिः भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, सतत 44 घंटे चलेगा दर्शन का सिलसिला
महाशिवरात्रिः भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, सतत 44 घंटे चलेगा दर्शन का सिलसिला
महाशिवरात्रिः भगवान महाकाल के दर्शन के लिए उमड़े श्रद्धालु, सतत 44 घंटे चलेगा दर्शन का सिलसिला

उज्जैन। देशभर में शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में इस मौके पर अलसुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

यहां दोपहर तक हजारों श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर पूजन-अर्चन का लाभ ले चुके हैं और यह सिलसिला रविवार देर रात सतत 44 घंटे जारी रहेगा। जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन समिति ने यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। लोगों को दर्शन में परेशानी न हो, इसके लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई हैं।

महाशिवरात्रि महापर्व पर शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी देर रात 2:30 बजे महाकालेश्वर मंदिर के पट खोल दिए गए थे। इसके बाद भगवान महाकाल की भस्म आरती की गई। शनिवार तड़के 4.00 बजे से आम भक्तों को मंदिर में प्रवेश शुरू हुआ। यहां रविवार की रात 11 बजे मंदिर के पट बंद होने तक सतत 44 घंटे दर्शन का सिलसिला चलेगा। इस दौरान चार प्रहर भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की जाएगी। पट खुलने से पहले ही रात से दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की कतार लग गई थी। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, दर्शनों के लिए भक्तों की कतार भी लगातार बढ़ती जा रही है।

यहां कर्कराज मंदिर पार्किंग के सामने गंगोत्री गार्डन से मंदिर में प्रवेश के लिए द्वार निर्धारित है। यहां से श्रद्धालुओं को चारधाम मंदिर के सामने जिगजेग से त्रिवेणी संग्रहालय, महाकाल महालोक होते हुए मान सरोवर गेट से मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है और फैसिलिटी एक से परिसर में होते हुए कार्तिकेय व गणेश मंडपम् से भगवान महाकाल के दर्शन करते हुए निर्गम द्वार और पांच नंबर गेट से बाहर निकालने की व्यवस्था की गई है।

महाशिवरात्रि पर ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के महादर्शन का सिलसिला जारी है। शनि प्रदोष पर महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है। भगवान महाकाल का लगातार जल धाराओं से अभिषेक हो रहा है। इसके अलावा दूध, दही, शहद, शक्कर सहित पंचामृत से पूजन भी जारी है। भगवान पर सुगंधित इत्र और फलों के रस से भी अभिषेक हो रहा है।

महाकालेश्वर मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर में भस्मारती से लेकर अगले दिन दोपहर में होने वाली भस्मारती तक विशेष रूप से दर्शन का महत्व शनि प्रदोष की वजह से महाशिवरात्रि पर्व का महत्व और भी कई गुना बढ़ गया है। भगवान महाकाल के दर्शन करने मात्र से मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है।

उन्होंने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर में पंडित और पुरोहित परिवार महाशिवरात्रि पर्व को लेकर कई दिनों पहले से तैयारियां करते हैं। भगवान महाकाल का रात्रि में सेहरा सजाया जाएगा। रविवार सुबह सेहरे के दर्शन और आरती होगी। इसके बाद दोपहर में भस्म आरती की जाएगी। दोपहर में होने वाली भस्म आरती के बाद महाशिवरात्रि पर्व का समापन होगा। (हि.स.)