उज्जैन। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में धुलेंडी के दिन हुए हादसे में घायल मंदिर के एक सेवक की उपचार के दौरान मुम्बई के अस्पताल में निधन हो गया है। बुधवार को उज्जैन में सेवक का अंतिम संस्कार किया गया। हादसे में घायल 80 वर्षीय सत्यनारायण सोनी को पहले इंदौर के अरविंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन स्थिति में सुधार होता नहीं देख अच्छे उपचार के लिए मुंबई के अस्पताल में रेफर किया गया।
दिवंगत सोनी की पार्थिव देह बुधवार सुबह करीब 11 बजे बुधवारिया क्षेत्र के अवंतीपुरा में नईगली स्थित निवास पहुंची। शव आते ही क्षेत्र में शोक छा गया। परिजन और मंदिर के पुजारी सहित बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। परिजन उनकी झलक देखकर रो पड़े। एडीएम अनुकूल जैन, मंदिर प्रशासक मृणाल मीना, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल सहित महाकाल मंदिर के पुजारी प्रदीप गुरु, राजेश जोशी, राम पुजारी, नीरज गुरु आदि भी निवास स्थान पहुंचे। चक्रतीर्थ पर सोनी का अंतिम संस्कार किया गया। अंत्येष्टि में कलेक्टर नीरजकुमार सिंह भी शामिल हुए। बता दें कि महाकाल मंदिर की भस्मारती में संख्या का नियंत्रण आवश्यक हो गया है। अधिक परमिशन से भीड़ जाती हैं। इस पर नियंत्रण करना आवश्यक हो चुका है।
एयर एंबुलेंस से गए थे, पार्थिव देह भी उसी से आई
दिवंगत सोनी को एयर एंबुलेंस से मुंबई के हॉस्पिटल ले जाया गया था। एडीएम जैन ने बताया 7 अप्रैल को इंदौर से मुंबई के हॉस्पिटल ले गए थे, जहां आग से जलने वालों का बेहतर उपचार किया जाता है। बुधवार सुबह उनकी पार्थिव देह भी एयर एंबुलेंस से लाई गई। पत्नी उनको मुंबई ले जाने पर सहमत नहीं थी।
सेवक थे, भस्मारती में नित्य आते थे- बताया जाता है कि सत्यनारायण सोनी बाबा महाकाल के सच्चे सेवक थे, जो कि भस्म आरती में सफाई करना हो, पूजन सामग्री एकत्रित करना हो या अन्य कोई भी काम हमेशा हर कार्य करने के लिए तैयार रहते थे। महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा महाकाल की पूजा करने के लिए भले ही कोई भी पुजारी का समय चल रहा हो, लेकिन उनके सहयोगी के रूप में सत्यनारायण सोनी सेवा देने के लिए जरूर मौजूद रहते थे।
बताया जाता है कि सोनी ही महाकाल मंदिर की भस्म आरती में बाहर नंदी हॉल में आकर महिला श्रद्धालुओं से निवेदन करते थे कि भगवान महाकाल की भस्मी चढऩे वाली है। महिलाएं घूंघट निकाल ले। महिलाएं भस्मी चढ़ते नहीं देखती हैं, इसलिए घूंघट निकाल ले। महाकाल को भस्मी चढऩे के बाद सोनी वापस आवाज लगाकर महिलाओं से घूंघट भी हटवाते थे। मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, सोनी बहुत मिलनसार व्यक्ति थे।
उपनाम खत्री लेकिन सोनी के नाम से बनी पहचान
दिवंगत सोनी वर्षों से महाकाल मंदिर में नित्य पूजा और सेवा के लिए जाते थे। उनके परिजन गोपाल खत्री ने बताया उनका सरनेम मूलत: खत्री है लेकिन पहले लखेरवाड़ी में उनके भाई की सोने चांदी के आभूषणों की दुकान थी और सोनी भी इस दुकान पर बैठते थे। इस कारण उनका नाम सत्यनारायण सोनी पड़ गया। उनके तीन बेटे राजेश, सुनील और अनिल हैं। चम्पालाल, दिनेश और नरेन्द्र उनके भाई हैं। एजेंसी /हिस