Thursday, November 21"खबर जो असर करे"

भारत के चावल निर्यात पर प्रतिबन्ध का नेपाल में दिखने लगा असर

काठमांडू। भारत द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबन्ध का नेपाल में असर दिखने लगा है। बाजार में चावल के मूल्य में अचानक हुई इस बढ़ोतरी से आम लोग परेशानी से दो-चार हो रहे हैं।

खाद्य किराना संघ के अध्यक्ष देवेन्द्र राज भट्ट ने बताया कि चावल पर प्रतिबन्ध की खबर के बाद जो पुराना स्टॉक रखा हुआ था, उसे भी बढ़े मूल्य पर बेचा जा रहा है। हालांकि सरकार की तरफ से चावल की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए बाजार पर नजर रखी जा रही है। काठमांडू सहित देशभर के खुदरा दुकानों और होलसेल विक्रेताओं के यहां सरकारी टीम जांच कर रही है।

उपभोक्ता संरक्षण विभाग के महानिदेशक गजेन्द्र ठाकुर के मुताबिक 20 किलो वाली चावल की बोरी 100-150 रुपए तक की बढ़ोतरी के साथ बेची जा रही है। अधिक मूल्य पर बेचने वाले कई व्यापारियों पर विभाग की तरफ से जुर्माना लगाए जाने की भी जानकारी महानिदेशक ठाकुर ने दी है।

हालांकि नेपाल चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सदस्य अजीत बस्नेत ने कहा कि एक-एक दुकान पर सरकार की पहुंच नहीं हो सकती। भारत द्वारा गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबन्ध की सूचना के साथ ही आयातकर्ता कंपनियों ने अधिक मूल्य पर चावल को बाजार में भेजना शुरू कर दिया है। ऐसे में छोटे दुकानदार और होलसेल व्यापारी द्वारा मूल्य बढ़ाया जाना स्वाभाविक है।

 

चैम्बर ऑफ कॉमर्स के इस तर्क से आपूर्ति मंत्रालय सहमत नहीं है। सरकार की तरफ से कूटनीतिक पहल कर रहे उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्री रमेश रिजाल ने कहा कि तीन महीने के लिए पर्याप्त चावल होने के बावजूद उपभोक्ता से अधिक मूल्य वसूल करना गैर कानूनी है। रिजाल ने बताया कि चावलों के निर्यात पर भारत के मौजूदा प्रतिबंध का असर नेपाल में नहीं होने देने के लिए सरकार मुस्तैदी से काम कर रही है। सरकार की तरफ से पत्र लिख कर भारत सरकार से नेपाल को चावल प्रतिबन्ध की परिधि से बाहर रखने का आग्रह किए जाने की जानकारी भी उन्होंने दी।

 

हालांकि भारत की तरफ से चावल के निर्यात में प्रतिबन्ध लगाया जाना ही नेपाल में चावल की कमी का कारण नहीं है। नेपाल में चावल की कुल खपत का 70 प्रतिशत हिस्सा आन्तरिक उत्पादन से आता है। लेकिन इस बार अच्छी बारिश नहीं होने के कारण कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि धान की पैदावार में 10-15 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है। नेपाल कृषि अनुसंधान परिषद ने सरकार को दी गई रिपोर्ट में बताया है कि सबसे अधिक धान का उत्पादन करने वाले जिलों में समय पर बारिश नहीं होने की वजह से इस बार 50 प्रतिशत से भी कम रोपाई हुई है।

 

देश में कुल 80 लाख टन धान की खपत होती है। पिछले वर्ष नेपाल में करीब 55 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था। इस बार समय पर रोपाई नहीं होने के कारण अगर 15 प्रतिशत तक भी कमी भी हुई तो इस वर्ष करीब 15 लाख टन धान की कमी होने का अनुमान कृषि अनुसंधान परिषद ने किया है।

पिछले आर्थिक वर्ष में भारत से 55 करोड़ 58 लाख 70 हजार किलो धान का आयात किया गया था। इसी तरह 23 करोड़ 40 लाख किलो चावल का आयात किया गया था।  (हि.स.)