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पांडवों ने मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित किया था शिवलिंग

मान्यता: अज्ञातवास के दौरान पांडवों यहां गुजारी थी एक रात

अनूपपुर, 16 जुलाई (एजेंसी)। भगवान शिव की आराधना का पावन मास सावन गुरुवार से शुरू हो गया। सावन कृषि के साथ-साथ धार्मिक आयोजनों के लिए मुख्य मास माना गया है। भगवान भोले से जुड़ी अनूपपुर की मिट्टी भी उनके सत्कार में खड़ी है। द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के रूप में जिले के भालूमाड़ा स्थित शिवलहरा की गुफाएं प्रसिद्ध हैं। अज्ञातवास से पूर्व अनूपपुर पहुंचे पांडवों ने अनूपपुर नगरीय क्षेत्र में एक रात गुजारी थी। जिसमें पांडवों के हाथों बनाया गया शिव मारुति मंदिर अद्वितीय स्थापत्य वास्तुकला के रूप में आज भी प्रसिद्ध है।

मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने अपने हाथों से की थी। मंदिर में हनुमान की भी प्रतिमा विराजित है, इसलिए मंदिर का नाम शिव- मारुति मंदिर पड़ गया है। जानकारों के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर सोन नदी तट के पत्थरों को तराश कर मंदिर का निर्माण किया था।

सैकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर आज भी मजबूती के साथ स्थापित है। यह मंदिर एक ही रात में बनाया गया था, सभी जगह पत्थर का उपयोग किया गया है। चार स्तंभ मंदिर के अंदर मुख्य रूप से बनाए गए हैं। गर्भ गृह के बाहर मुख्य द्वार पर भगवान विष्णु के 10 अवतारों के मूर्ति बनी हुई है। इसके नीचे शेषनाग, माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा है। द्वार के दोनों तरफ द्वारपाल हैं। 4 स्तंभों में बाईं तरफ घोड़ों में सवार भगवान सूर्य, नीचे पुत्र कर्ण और नीचे हाथी पर सवार इंद्र की प्रतिमा बनी हुई है। दाएं स्तंभ में राजा इंद्र फिर नीचे धनुष लिए हुए पुत्र अर्जुन हैं। दोनों स्तंभों में हरि प्रभु कृष्ण और गोपियों की भी प्रतिमा है। मंदिर के पीछे भगवान शिव और विष्णु के परिवार की प्रतिमाएं पत्थर पर उकेरी हुई हैं। शिखर पर उत्तर की तरफ मूर्तियां हैं। पुरातत्व विभाग ने भी इसे प्राचीन मंदिर माना है।

मंदिर के साथ बना है बड़ा तालाब

जानकारों के अनुसार पांडवों ने मंदिर के साथ ही करीब 8 एकड़ में तालाब का भी निर्माण किया था। यह लोगों की आस्था जुड़ा हैं जो भी मनोकामना लिए यहां मत्था टेकता है उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। महाशिवरात्रि का पर्व हो या फिर सावन सोमवार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक एवं पूजन के लिए उमड़ती है।