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ट्रंप प्रशासन भारत के अवैध प्रवासियों को बेड़ियां लगाकर दूसरे देशों में क्यों भेज रहा अमेरिका

नई दिल्‍ली। अमेरिका ने अवैध तरीके से देश में रह रहे लोगों का निर्वासन जारी रखा है। ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के सैकड़ों नागरिकों को बेड़ियां लगाकर डिपोर्ट किया है। अपने इस अभियान के लिए अमेरिकी सरकार करोड़ो डॉलर तक खर्च कर रही है। हालांकि, इस बीच पनामा से कुछ चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। इन फोटोज में अमेरिका से निर्वासित किए गए भारतीयों को एक होटल की खिड़की से मदद की गुहार लगाते देखा जा सकता है। इस तस्वीर के सामने आने के बाद से ही भारत और पड़ोसी देशों में लोगों ने अमेरिकी सरकार से नाराजगी जताई है।
हालांकि, इस बीच सबकी जुबान पर एक ही सवाल है- आखिर अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय और अन्य देशों के लोग दक्षिण अमेरिकी देश पनामा में क्या कर रहे हैं? ट्रंप प्रशासन ने हालिया दिनों में अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को और किन देशों में भेजा है? इसकी वजह क्या है? वहां भारतीय किन हालात में रहने को मजबूर हैं? अमेरिका की आगे की योजना क्या है? आइये जानते हैं…

पहले जानें- अमेरिका ने अब तक कितने भारतीयों को वापस भेजा
अमेरिका अब तक तीन सैन्य विमानों के जरिए 332 भारतीयों को भारत भेजा है। अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लाने वाली पहली फ्लाइट 5 फरवरी को भारत के अमृतसर में लैंड हुई। तब इसमें 104 लोग सवार थे, जिनमें 30 पंजाबी थे। इसके अलावा 15 फरवरी को 116 और 16 फरवरी को 112 भारतीयों को लेकर भी अमेरिकी सैन्य उड़ानें भारत पहुंची थीं।
तो अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय दक्षिण अमेरिकी देश कैसे पहुंचे?
अमेरिकी मीडिया की पिछले कुछ दिनों की रिपोर्ट्स को देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका तीन अलग-अलग देशों से एक समझौता कर चुका है। इसके तहत अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को पहले दूसरे देश में रखा जा रहा है, जो कि ट्रांजिट पॉइंट के तौर पर तय किया गया है। यह देश निर्वासित प्रवासियों को अपने यहां रखने का जिम्मा उठा रहे हैं। अमेरिका से आने के कुछ दिन बाद उन्हें अपने-अपने देशों में भेजा जा रहा है।
अमेरिका से निर्वासित कर कौन-कौन से देशों में भेजे जा रहे भारतीय?
अमेरिका ने जिन देशों में निर्वासित किए गए लोगों को रखने का समझौता किया है, उनमें पनामा, ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका शामिल हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इन देशों से प्रवासियों को वापस भेजने में मदद देने की भी बात कही है।

किन-किन देशों में फंसे हैं अमेरिका से निर्वासित भारतीय?
पनामा में किस तरह रखे जा रहे भारतीय?
पनामा में दूसरे देशों के करीब 300 प्रवासियों को अस्थायी तौर पर रखा जा रहा है। इन्हें पनामा के डेरियन जंगलों में एक दूर के शरणार्थियों के लिए तय किए गए होटल में रखा गया है।
रिपोर्ट्स की मानें तो पनामा ने इन प्रवासियों को डैकेपोलिस नाम के एक होटल में रखा है। यहां लोगों को अपने कमरे तक छोड़ने की इजाजत नहीं है। बुधवार को इसी होटल की खिड़की से कुछ अप्रवासियों को हाथ हिलाकर मदद मांगते देखा गया था। मीडिया के सामने इन लोगों ने खुद को बचाने की गुहार भी लगाई थी।
पनामा सरकार ने इन होटलों में कमरों के बाहर भी पुलिसकर्मी तैनात किए हैं, ताकि अमेरिका से लाए गए लोगों को बाहर निकलने से रोका जा सके। हालांकि, सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो का कहना है कि प्रवासियों को हिरासत में नहीं रखा गया है। अब्रेगो ने कहा कि पनामा के नागरिकों की सुरक्षा के लिए इन लोगों को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा। लेकिन हम उनके लिए खाने, मेडिकल और अन्य सेवाओं की व्यवस्था कर रहे हैं।

कोस्टा रिका में किस-किस देश के अवैध प्रवासी भेजे गए?
अमेरिका ने पश्चिम एशिया (उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान) और भारत के कई प्रवासियों को कोस्टा रिका पहुंचाया है। सरकार ने इन लोगों को पनामा से लगते बॉर्डर के पास एक शरणार्थी कैंप में रखा है। कोस्टा रिका का कहना है कि वह अमेरिका से निर्वासित लोगों को उनके मूल देश पहुंचाने के लिए सिर्फ एक पुल का काम करेगा।
कोस्टा रिका ने साफ किया है कि उसके यहां से लोगों को वापस भेजने के कार्यक्रम की पूरी फंडिंग अमेरिका करेगा और इसे अंतरराष्ट्रीय आव्रजन संस्था (आईओएम) की निगरानी में किया जाएगा। इस दौरान अप्रवासियों को कोस्टा रिका में रखने और उनकी सुविधाओं की देखरेख भी आईओएम ही करेगा।
कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो शावेज का कहना है कि वह अमेरिका की मदद इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि वह ट्रंप के टैरिफ की मार नहीं झेलना चाहते। अगर अमेरिका ने कोस्टा रिका के उत्पादों पर टैरिफ लगाना शुरू किया तो इससे उनके देश को बड़ा नुकसान हो सकता है।

अमेरिका क्यों दूसरे देशों में भेज रहे निर्वासित नागरिक?
अमेरिका में अवैध तरह से रह रहे अप्रवासियों के आंकड़ों को देखा जाए तो यह अमेरिकी आबादी का महज 3 फीसदी हैं। वहीं, अमेरिका में रह रही विदेशी मूल की आबादी का करीब 22 फीसदी हैं। यानी अमेरिका में एक करोड़ से ज्यादा आबादी अवैध अप्रवासियों की है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इन सभी अवैध अप्रवासियों को उनके देश लौटाने के लिए अभियान का एलान किया है। हालांकि, अमेरिकी आव्रजन व्यवस्था पर पहले से ही काफी बोझ है। ऐसे में अमेरिका इन अवैध प्रवासियों को लौटाने के लिए कुछ साथी देशों का सहारा ले रहा है।

अमेरिकी अधिकारियों ने कुछ मीडिया समूहों से बातचीत में कहा है कि, ट्रंप प्रशासन अपनी इस नीति के जरिए अवैध तरीके से आने वाले प्रवासियों को सख्त संदेश देना चाहता है। इतना ही नहीं इस योजना के जरिए वह डंकी रूट पर पड़ने वाले लातिन अमेरिकी देशों के साथ शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों की समस्या का स्थायी रूप से अंत भी करना चाहते हैं।