Saturday, November 23"खबर जो असर करे"

ज्ञानवापी परिसर स्वामित्व विवाद मामले की सुनवाई शुरू

प्रयागराज। वाराणसी ज्ञानवापी स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर स्वामित्व को लेकर वाराणसी जिला अदालत में दाखिल घोषणात्मक सिविल वाद की पोषणीयता मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में शुरू हो गई है।

सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से दाखिल याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल कर रहे हैं। वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि वाराणसी की जिला अदालत में 1991 में दाखिल मुकद्दमें की पोषणीयता पर याचीगण की तरफ से प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991के तहत आदेश 7 नियम 11के तहत आपत्ति दाखिल की गई। अर्जी तय न कर वाद विंदुओ पर सुनवाई करने के आदेश को चुनौती दी गई।

हाईकोर्ट ने 17 मार्च 20 को केस सुनवाई पर रोक लगा दी और मंदिर पक्ष से जवाब मांगा था। दोनों पक्षों की बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया। इसी बीच वाराणसी की अदालत में एक अर्जी दाखिल हुई। इस पर अदालत ने सर्वे का आदेश दिया। इसे भी हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने सर्वे कराने के आदेश पर रोक लगा रखी है। इसी बीच अधीनस्थ अदालत के आदेश पर कोर्ट कमिश्नर भेजा गया। इस दौरान कथित शिवलिंग का पता चला। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थल को सीज कर दिया है। कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप न होने के बाद साइंटिफिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे का प्रकरण अर्थहीन हो चुका है। अब सिविल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई की जानी है।

वरिष्ठ अधिवक्ता एस एफ ए नकवी ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी, गणेश, हनुमान मंदिर व दृश्य अदृश्य सभी देवताओं के पूजा अधिकार को लेकर 2021में राखी सिंह व चार अन्य महिलाओं ने सिविल वाद दायर किया। इसकी पोषणीयता पर भी आपत्ति की गई। जिसे अधीनस्थ अदालत ने खारिज कर दिया। यह आदेश हाईकोर्ट से बरकरार रहा जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है। 2021 व 1991 केस का संबंध एक ही संपत्ति से है। यदि वाद मंजूर होता है तो ज्ञानवापी मस्जिद हटा दी जाएगी, जो प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ होगा।

नकवी ने कहा कि 1936 में ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर दीन मोहम्मद ने राज्य सरकार के खिलाफ सिविल वाद दायर किया था। राहत न मिलने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और हाईकोर्ट ने 1940 में फैसला दिया है। नमाज़ पढ़ने का अधिकार दिया गया है। कोर्ट ने कहा वह अलग मुद्दा था। इस मामले में फैसला बाध्यकारी नहीं होगा। दीन मोहम्मद केस का फैसला पढ़ा गया। बहस जारी है। अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को होगी। (हि.स.)