गाजीपुर। पूर्वांचल के बड़े माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की कहानी खत्म हो चुकी है। 60 साल के मुख्तार पर 60 से ज्यादा केस दर्ज थे जिनमें 8 मुकदमों में उसे सजा हो चुकी थी। 19 साल से यूपी और पंजाब की जेल दर जेल भटक रहे मुख्तार के नाम से भले लोग खौफ खाते हों लेकिन मौत का डर उसे भी बराबर था। मौत का ऐसा खौफ कि जेल के अंदर भी मुख्तार अंसारी बुलेटप्रूफ जैकेट पहनकर बैरक से बाहर निकलता था। 1996 से 2022 तक पांच टर्म लगातार मऊ विधानसभा सीट से विधायक रहे अंसारी को जेल के अंदर भी तमाम सुविधाएं और सुरक्षा मिल रही थीं लेकिन खून का बदला खून से लेने वालों को भी अपना खून बहने का डर तो रहता है।
मुख्तार अंसारी को 1999 में आगरा सेंट्रल जेल लाया गया था। तीन साल पहले ही मऊ विधानसभा सीट से मुख्तार पहली बार विधायक बना था। उत्तर प्रदेश में उस समय भाजपा की सरकार थी और सूबे के मुख्यमंत्री थे कड़क कल्याण सिंह। आगरा जेल के बैरक नंबर 5 में मुख्तार को रखा गया था। जेल में तालाब खुदवाकर ताजी मछली खाने और बैंडमिंटन कोर्ट बनवाकर खेलने के लिए मशहूर मुख्तार ने आगरा जेल को भी अपने रंग में रंग दिया। मोबाइल उस समय नया-नया आया था। जेल के अंदर से मुख्तार मोबाइल पर ही पूर्वांचल में अपना गैंग और अपना कारोबार चलाने लगा। खबर ऊपर तक पहुंची। फिर 18 मार्च 1999 को आगरा के डीएम आरके तिवारी और एसएसपी एसके सिंह ने जेल पर छापा मार दिया।
प्रशासन को मुख्तार अंसारी के बैरक में रेड मारने पर मोबाइल फोन और कई सिम कार्ड तो मिले ही, साथ ही मिला बुलेटप्रूफ जैकेट। तब राज खुला कि जेल के अंदर भी मुख्तार अंसारी जब भी बैरक से बाहर जाता था तो हत्या के डर से बुलेटप्रूफ जैकेट पहन लेता था। इन बरामदगियों के लिए भी मुख्तार पर एक और केस दर्ज हो गया जो आगरा की अदालत में पिछले 25 साल से चल रहा है। केस के 25 गवाह में 17 की गवाही भी हो चुकी है। अगले महीने केस की अगली तारीख है लेकिन मुख्तार की मौत के बाद इस केस समेत 53 केस में उसका इंसाफ बाकी रह गया।