नई दिल्ली। इजरायल हमास को नष्ट करने के लिए सैन्य अभियान चला रहा है, इसी बीच इजरायली राजदूत रूवेन अजार हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया के संपादकों से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे। गाजा में चल रहे युद्ध के दौरान फिलिस्तीनियों को मिल रहे समर्थन के बीच, अजार ने माना कि इजरायल सूचना के युद्ध में पिछड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इजरायल सॉफ्ट पावर यानी जनसंपर्क और संचार के क्षेत्र में भारत से सीख सकता है। अजार ने बताया कि इजरायल ने अपनी सैन्य ताकत (हार्ड पावर) पर ज्यादा ध्यान दिया है और सॉफ्ट पावर पर कम। उन्होंने कहा कि हमारा अधिकांश निवेश हार्ड पावर में चला गया है, सॉफ्ट पावर में नहीं। आप जिस तरह से इन समूहों को चुनौती दे रहे हैं, उसमें आप हार्ड और सॉफ्ट पावर को मिला रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है भारत
उन्होंने कहा कि भारत, इजरायल और फ़िलिस्तीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना चाहता है। भारत ने गाज़ा में युद्ध विराम की बार-बार अपील की है लेकिन साथ ही, भारत ने आतंकवाद से अपनी रक्षा करने के इजरायल के अधिकार का भी समर्थन किया है। अजार ने आगे कहा कि भारत सरकार इजरायल के मुख्य राष्ट्रीय हितों का समर्थन करती रही है। हालांकि, दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद भी हैं। जैसे, भारत UNRWA को सहायता देता रहा है, जबकि इजरायल इसे प्रतिबंधित करता है। फिलिस्तीन से संबंधित UNGA प्रस्तावों पर भारत के मतदान को लेकर भी दोनों देशों की राय अलग है।
‘राष्ट्रहितों में भारत काफी रहा सहयोगी’
अजार ने आगे कहा कि मैं अपने दोस्तों को ग्रेड नहीं देता हूं मुझे लगता है कि जब हमारे मुख्य राष्ट्रीय हितों की बात आती है, तो भारत काफी सहयोगी रहा है। बेशक, हम भारत सहित कई देशों को अपना मतदान पैटर्न बदलते देखना चाहेंगे और मैंने अपने भारतीय दोस्तों से कहा कि जब UNRWA की बात आती है, तो हम चाहते हैं कि वे अपनी सहायता को अन्य चैनलों के माध्यम से जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाए। इसलिए, यह एक ऐसी बातचीत है जो हम कर रहे हैं और हम बातचीत जारी रखने जा रहे हैं। आखिरकार, यह एक बहुत ही दोस्ताना रिश्ता है और हमें इस पर चर्चा जारी रखनी होगी।
हमास की सैन्य क्षमता पूरी तरह से खत्म करना चाहता है इजरायल
पिछले साल की तरह, इस साल भी भारत ने UNRWA (नियर ईस्ट में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी) को 5 मिलियन डॉलर दिए हैं। भारत सरकार ने संसद को बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद से UNGA में पेश किए गए 13 प्रस्तावों में से उसने 10 के पक्ष में और 3 पर मतदान नहीं किया। अजार ने कहा कि बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत में कुछ प्रगति हो सकती है। उन्होंने बताया कि इज़रायल का लक्ष्य गाज़ा में हमास की सैन्य क्षमता को पूरी तरह खत्म करना है। इजरायल यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि हमास फिर से हथियार जमा न कर पाए।
उन्होंने कहा कि इसके लिए गाजा पट्टी में एक नई व्यवस्था की आवश्यकता है। इसलिए, हम यही हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। हमास को खत्म करना जारी रखना, उन भागीदारों के साथ जुड़ना जो शांति बहाल करने के लिए हमारे साथ काम करना चाहते हैं। हालांकि इसमें समय लग सकता है। हम कम से कम समूहों में बंधकों की रिहाई देखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री (बेंजामिन नेतन्याहू) ने हाल ही में बंधकों के परिवारों से मुलाकात की और कहा कि उन्हें लगता है कि बंधकों के सौदे के लिए समय सही है। ऐसा लगता है कि बातचीत में कुछ प्रगति हो सकती है। मुख्य बात यह है कि हम हमास को यह मौका नहीं देंगे कि बंधकों के बदले में वे गाजा पट्टी पर फिर से नियंत्रण कर सकें।
‘…लेकिन इजरायल के लिए खतरा न बनें’
अज़ार ने दो-राज्य समाधान के मुद्दे पर इजरायल के रुख को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि इजरायल फ़िलिस्तीनी राज्य के गठन के विचार के खिलाफ नहीं है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि फ़िलिस्तीनी अपने देश का विकास करें, लेकिन इजरायल के लिए खतरा न बनें। गाजा पट्टी का उदाहरण हमारे सामने है, जहां हमास ने इज़रायल के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां कीं। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि फ़िलिस्तीन में ऐसी कोई सरकार न हो जो इजरायल के अस्तित्व को खतरे में डाले।उन्होंने कहा कि जब तक फिलिस्तीनी इजरायल को खतरा मानते रहेंगे, तब तक हम उन्हें पूरी आजादी नहीं दे सकते। हमने गाजा में ऐसा करके देख लिया है। 17 साल तक हमने फिलिस्तीनियों को आजादी दी, लेकिन हमास ने इसका गलत फायदा उठाया और इज़रायल को नुकसान पहुंचाने लगा। इसलिए हमें फ़िलिस्तीनियों को थोड़ी आजादी देनी चाहिए, लेकिन पूरी नहीं।
सीरिया को लेकर क्या बोले अजार?
अज़ार ने सीरिया के हालात पर बात करते हुए तीन मुख्य बातें बताईं। पहली बात यह कि ईरान का प्रभाव कम हो रहा है क्योंकि उसके सहयोगी देशों की हालत खराब है। दूसरी बात यह है कि रूस और नाटो के बीच ताकत की लड़ाई बढ़ रही है और तीसरी बात यह है कि तुर्की सीरिया में अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह स्थिति और भी जटिल बना सकता है। उन्होंने कहा कि सीरिया में जो विद्रोही लड़े रहे हैं, उनमें से कुछ का संबंध आतंकवादी संगठनों से भी है।