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नेपाल के नए प्रधानमंत्री बने पुष्प कमल दहल प्रचंड, राष्ट्रपति ने किया नियुक्त

काठमांडू । नेपाल में रविवार को तेजी से बदले राजनीतिक समीकरण के बाद नई सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल को नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। दहल को ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल ने समर्थन दिया है। वह सोमवार की शाम को शपथ लेंगे।

राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जानकारी दी गई है कि दहल को सोमवार की शाम चार बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाल की राष्ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी को सांसदों के समर्थन वाला पत्र भी सौंप दिया, जिसमें बहुमत के लिए प्रचंड के समर्थन में 165 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। दहल के पास सीपीएन-यूएमएल के 78, उनकी अपनी माओवादी सेंटर पार्टी के 32 और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14, जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत के छह सहित 169 सदस्यों का समर्थन है।

नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने सभी पार्टियों को प्रधानमंत्री पद के लिए दावा पेश करने के लिए रविवार शाम 5 बजे तक की डेडलाइन दी थी। आज दोपहर को सीपीएन (माओवादी सेंटर) के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड मीटिंग से नाराज होकर निकल गए और गठबंधन से अलग होने का ऐलान कर दिया। इसके बाद दहल ने केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल से हाथ मिलाया। केंद्र में नई सरकार बनने के साथ ही सात दलों का नया गठबंधन सभी सात प्रांतों में भी सरकार बनाने की ओर अग्रसर होता दिख रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाले सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) और अन्य छोटे दलों की एक महत्वपूर्ण बैठक में सभी दल प्रचंड के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमत हुए। सीपीएन-एमसी महासचिव देब गुरुंग ने बताया कि सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-एमसी और अन्य दल संविधान के अनुच्छेद 76(2) के तहत 165 सांसदों के हस्ताक्षर के साथ राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास जाकर प्रचंड के प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पेश की है।

ओली के आवास बालकोट में आयोजित बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री ओली के अलावा प्रचंड, आरएसपी अध्यक्ष रवि लामिछाने, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के प्रमुख राजेंद्र लिंगडेन, जनता समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अशोक राय सहित अन्य लोगों ने भाग लिया। प्रचंड और ओली के बीच बारी-बारी से (रोटेशन के आधार पर) सरकार का नेतृत्व करने के लिए सहमति बनी है और प्रचंड को पहले प्रधानमंत्री बनाने पर ओली ने अपनी रजामंदी जताई है। (हि.स.)