अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने मुलाकात के संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक में ताइवान के प्रति चीन की दमनात्मक और आक्रामक कार्वाइयों पर आपत्ति जताई। इसके साथ ही उन्होंने शिनजियांग, तिब्बत तथा हांगकांग में चीन द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर चिंताओं को उठाया।
व्हाइट हाउस ने लगभग तीन घंटे के सत्र पर एक बयान में कहा कि बाइडन ने शी से कहा कि अमेरिका चीन के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा करना जारी रखेगा लेकिन प्रतिस्पर्धा संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए।
विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों की प्रतिस्पर्धा के साथ बाइडन-शी के बीच बैठक का उद्देश्य मतभेदों को कम करना था। बाइडन ने सोमवार को बाद में एक संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें बैठक पर चर्चा की गई।
व्हाइट हाउस ने कहा कि बाइडन और शी इस बात पर भी सहमत हुए कि परमाणु युद्ध कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए और न ही इसे जीता जा सकता है, तथा यूक्रेन में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या खतरे के प्रति अपने विरोध को रेखांकित किया।
बाइडन-शी की बातचीत में पिछले करीब नौ महीने से यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच रूसी अधिकारियों के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर संदर्भ दिया गया।
इससे पहले अमेरिका के प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन की टिप्पणी के बाद अमेरिका से तल्खियां बढ़ गई थी।
चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद जो बाइडन ने कहा कि शी और उन पर यह दिखाने की जिम्मेदारी है कि अमेरिका और चीन अपने मतभेदों पर काबू पा सकते हैं, सहयोग के क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं।
वहीं चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि वह बाइडन के साथ विचारों के आदान-प्रदान के लिए तैयार हैं, जिसका उद्देश्य अमेरिका-चीन संबंध को सुधारना है।
बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात करीब 11 साल के बाद हो रही है। आखिरी बार इन दोनों नेताओं में जब मुलाकात हुई थी, तब जो बाइडन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे। (हि.स.)